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जय हो बेरोजगारी भत्ते की

समय की पुकार
समय की पुकार
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मेरे गांव में एक भʺभोंपूʺ रहता है। इस भोपू को लोग गंभीरता से नहीं लेते लेकिन कभी यह कुछ एसी बातें भी कहता है जिसे न चाहते हुये भी गंभीरता से लेना पड。ता है। पिछले महीनों जब उत्तरप्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार बनी और उन्होने कुर्सी संभालते ही यह कहा कि सभी बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता दिया जायेगा तो भोपू अल सुबह ही बाजार में आ गया और अपने स्वभाव के मुताबिक जोर जोर से आवाज लगाने लगा ʺ अब तो मुझे कुछ करने की जरूरत नहीं क्योंकि मेरे घर में अब वैसे ही चार हजार रूपया महीना की इनकम ओन का जुगाड。 हो गया है। ʺ लोग सकते मे आ गये कि आखिर इसे चार हजार का जुगाड。 हुआ तो कैसे हुआ। लेकिन कोई कुछ पूछता वह आदत के मुताबिक कहने लगा । ʺ देखो सरकार ने एक हजार रूपये बेरोजगारी भत्ता देने का एलान किया है। ʺ उसके अनुसार उसके घ्रर में दो बेटो और बहुओं का साम्राज्य है। इस प्रकार से चार हजार का जुगाड。 हो गया। यह बात वह हर आने जाने वाले और परिचितों को बुला बुला कर सुनाता रहा ।
कुछ ही दिनों बाद भोपू काफी गुस्से में थां। आते ही ʺ अरे यह सरकार ज्यादा दिन नहीं चलेगी। जब अभी यह हाल है तो आगे चल कर क्या करेगी।ʺ लोग समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर हुआ क्या? एक मुंहलगे ने पूछ ही लिया। अरे चाचा क्या बात है। गुस्से से लाल पीला होते हुए भोपू बोला,ʺअरे वोट लेना था तो कहा कि सभी को बेरोजगारी भतता देगें , अब कह रहे हैं कि जिसकी उम्र इतना , शिक्षा इतनी और फंला फला। ʺ अब लोगों को गुस्से का कुछ कुछ कारण समझ में आने लगा था। कारण यह था कि जो नियमा वली बनाई गई थी उसके अनुसार ʺ भोपूंʺ के परिवार का कोई नहीं आ रहा था। खैर वह कर भी क्या सकता था। जब से सरकार ने बेरोजगारी भत्ता देने का नियम बनाया और भोंपू के परिवार की छंटनी हुयी उसी दिन से वे सरकार विरोधी हो गये और उसकी एसी की तैसी करने पर उतारू नजर आने लगे।
कुछ समय बीता और लोग जब जब मजाक के लहजे में बेरोजगारी की बात कहते तब तब गुस्से से लाल पीला होते समय बीतता गया। आज सुबह सुबह भोपू पुनः बाजार में आते आते जोर जोर से बोलने लगा। देखो मैने कहा था न कि अगर बेरोजगारी भत्ते के विषय मे निर्णय बदला नहीं गया तो सरकार चलेगी नहीं। देखो अब सरकार ने उम्र भी घटा दिया और तहसील से लेकर जिला मुख्यालय तक कि भागमभाग से छुटकारा भी दिला दिया। अब भरो न फार्म । अब तो चार नहीं बल्कि दो लोग ही इसके परिवार में इस लायक रह गये थे जिसे ʺनालायक ʺ कहा जाय और बेरोजगारी भत्ता दिया जाय। वैसे यह अब भी मिलेगा इसमें संदेह है क्योंकि अभी भी इसमें इतने पेंच है कि यह इस श्रेणी में नहीं आता। वैसे यह भी जुगाड。 लगाने में माहिर है और उंट की चोरी निहूरे निहूरे करता है। अगर देखा जाय तो जिस के लिए बेरोजगारी भत्ते की आशा यह कर रहा है वह उस श्रेणी में नहीं आता। अब यह आस पास वालों पर निर्भर है कि वे इसके इस जुगाड。 गाड。ी का पहिया किस तरह से पंचर करते हैं। कुछ भी हो अब उसके चेहरे पर संतोष की झलक देखने को मिलती है। यह कब तक बरकरार रहती है यह तो आने वाला समय बतायेगा। लेकिन इसने बहती गंगा में हांथ धोने का मन बना ही लिया है। जै हो अखिलेश सरकार की । जय हो बेरोजगारी भत्ता की।

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