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दो फुट का आलू

समय की पुकार
समय की पुकार
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एफडीआई पर लोक सभा में बहस हो गयी। विपक्षी नेता श्री मती सुषमा स्वराज का प्रस्ताव गिर गया। सरकार प्रसन्न है। सरकार बच गयी लेकिन देश का कया होगा यह अभी भविष्य के गर्भ मे हैं। सभी अपनी अपनी ढपली और अपना अपना राग अलाप रहे हैं। उत्तर प्रदेश की दो प्रमुख दल सत्ता पक्ष और प्रमुख विपक्षी अपने अपने हित के लिए एक दूसरे के साथ गलबहियां डाले लोक सभा से बाहर आ गये।बाहर आने का वही पुराना तर्क सांप्रदायिक ताकतों का विरोध। सच्चर कमेटी ने एफडीआई पर कहा था कि सबसे बडा नुकसान मुसलमानों का होगा। इसे लागू करने की बात कहने वाले मुलायम सिंह पर इसका कोई असर नहीं पडा। मायावती ने भी लगभग वही तर्क दिया जो मुलायम सिंह ने दिया। यह कहने में देश की जनता को कोई संकोच नहीं होना चाहिए कि जब जब इन पार्टियों को अपने लाभ के लिए जरूरत पडी है तब तब ये पाट्रिया इसी सांप्रदायिक पार्टी का समर्थन ले चुकी है। आगे भी लेगी और अवश्यक लेगी। लेकिन वर्तमान में सुषमा स्वराज के शब्दों में कहा जाय तो ʺएफडीआई पर सीबीआई ʺ का गठजोड हो गया। देश की जनता को ये पार्टिया उल्लू समझती है। ये किसको उल्लू बना रही हैं । ये तो स्वयं उल्लू हैं। जब अन्ना हजारे का आन्दोलन चल रहा था तो ये दल यही तर्क दे रहे थे कि संसद सर्वोंच्च है। और संसद में जो नाटक बाजी ये दल कर रहे थे इसके विषय में क्या कहा जाय। अब तो यही कहा जा सकता है कि संसद को बहुमत नहीं ब्लैक मेलिंग के साथ चलाया जाता है। आखिर जब सरकार को इतना ही भरोसा था तो चार दिनों तक क्यों वोटिंग की बात नहीं मानी ? इसीलिए न कि तब तक सीबीआई पीछे थी । और संसद में जोर दार विरोध करने के वावजूद और भारत बंद का समर्थन करने के वावजूद सरकार के साथ खडे होने का मतलब क्या होता है ? क्या इससे लोकतंत्र मजबूत होता है? अगर कहा जाय कि ये समर्थक सभी एक ही थैली के चट्टे बट्टे है तो इसमें कोई अतिशयोकित् नही होनी चाहिए। सरकार को चलाने के लिए जितने बहुमत की जरूरत होती है उससे कम लोगों ने वोट दिया और सरकार कह रही है कि गणित हमारे साथ है। वाह रे गणित । जनता आपके गणित को खूब जानती है और समय आने पर इसका गुणा भाग कर परिणाम भी बता देगी और यह भी बता देगी कि आपके बाप दादों ने दो फुट का आलू नहीं पैदा किया तो आप क्या करेगें। आपको दो फुट का अवश्य बना देगी।

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