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लैपटाप बनाम फ्लाप टाप

समय की पुकार
समय की पुकार
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मुझे अभी भी याद है कि पूर्ववर्ती मायावती सरकार के पहले वर्तमान समाजवादीपाटी की मुलायम सिंह की सरकार थी। वे अपने कार्यकाल के अंतिम चराण में बेरोगजारों को बेरोजगारी भत्ता बांट रहे थे। इसी क्रम में उन्होने वाराणसी में बाबतपुर में बेरोजगारी भत्ता बांटा था। उन्हें शायद यह उम्मीद थी कि इसका फायदा उन्हें अगले विधानसभा चुनाव में अवश्य मिलेगा। लेकिन एसा हुआ नहीं और प्रदेश में बहुजन समाजवादी पाटी को रिकार्ड बहुमत मिला। बेरोजगारी भत्ता काम नहीं आया और प्रदेश में सपा के कार्यकाल जो अराजकता गुंडागर्दी ,भ्रष्टाचार फैला था उसने मुलायम सिंह की सरकार की लुटिया डुबो दी थी।
इसके बाद मायावती की बसपा सरकार आयी और उसने मूर्तियों ,पार्को पर करोडो रूपये पानी की तरह बहाया, परिणाम यह हुआ कि लोगों ने इसे भी पसंद नहीं किया। हताशा और निराशा जातिवादी आतंक से त्रस्त जनता को एक नयी किरण अखिलेश यादव के रूप में दिखायी दी । चुकि नये वोटरों की संख्या बडे पैमाने पर बनी थी इसलिए सपा को लगा कि अगर इनको अपने पक्ष में कर लिया जाय तो कुर्सी पर बैठना आसान हो जायेगा। उन्होने पुनः वही राग अलापा और कन्या विद्याधन , लैपटाप , आदि का सब्ज बाग दिखाया। नई पीढी ने इसे पसंद किया और सपा पुनः सत्तासीन हो गयी।
आज अपने वादे के मुताबिक अखिलेश सरकार ने काम करना शुरू किया है। पहले उन्होने बेरोजगारी भत्तता बांटना शुरू किया। इसमें आज ऐसे ऐसे लोग भत्ता ले रहे हैं जिनके नाम से लाखों लाख रूपये बैंक बैलेंश हैं, दुकाने हैं , आलीशान भवन है आधुनिक संसाधन हैं। हजारों का प्रतिदिन का व्यापार है। एक तरफ ऐसे लोग हैं दूसरी तरफ एसे लोग भी हैं जिनको ठीक से दो जून की रोटी भी मयस्सर नहीं है। इनके परिवार में दिन भर की कमाई के बाद ठीक से चुल्हा जलेगा भी या नहीं यह उन्हें खुद नहीं मालूम। लोग सारा काम छोड कर बेरोजगारी भत्ते के लिए दिन भर धूप में खडे होकर फार्म जमा कर रहे है। कुछ किस्मत वाले हैं जिन्हे एक दो किश्त की रकम मिल चुकी है तो कुछ अभी तरह तरह के नियमों शर्तों के आगोश में हैं।
सरकार की महतवाकांक्षी योजना लैपटाप का वितरण भी शुरू हो गया है। पहला वितरण लखनउ से शुरू हुआ फिर अन्य जिलों से होता हुआ वाराणसी तक पहुंच गया। वितरण के साथ ही जो विसंगतियां सामने आ रही है और न वालों का गुस्सा जिस प्रकार से सामने आ रहा है उससे भविष्य का अंदाजा लगना शुरू हो गया। सरकार ने चुनाव के समय वादा किया था कि सभी विद्यार्थियों को लैपटाप दिया जायेगा। अब जब वितरण की बारी आयी तो उसमें पहले राजकीय बाद में सहायताप्राप्त और उसके बाद अल्पसंख्यक विद्यालयों के छात्रों को प्राथमिकता देने की बात कही जाने लगी। इसी जगह से असंतोष की आवाजें उठनी शुरू हो गयी है। यह तो सर्व विदित है कि जब चुनाव के समय वादा किया गया था तो उस समय यह शर्ते नहीं थी। एसा इस लिए किया गया था कि सपा जानती थी कि इस प्रकार का वायदा करने से वोटों का बंटवारा हो जायेगा। लेकिन अब यह बंटवारा हो रहा है। यह संभवतः आगामी लोकसभा चुनाव तक हो भी जायेगा। एसा इसलिए कि गैरसरकारी कालेज कहीं ज्यादा हैं और इनमें पढने वालों की संख्या ज्यादा है। यह संख्या मान्यताप्राप्त और सरकारी सहायता प्राप्त कालेजों से कही ज्यादा हैं और अगर इसी प्रकार का असंतोष जारी रहा तो यह लैपटाप वितरण की योजना चुनाव के समय फ्लाप हो जायेगा और पासा उल्टा पड जायेगा। आगे कोई और सख्या नये छात्रों का जोडे जाने की गुजाइश भी नहीं रहेगी क्योंकि अभी पहले की संख्या ही लाखों में प्रतीक्षा सूची में है। कहा जाता है कि लाखों की संख्या में लैपटाप बांटे जायेगें और एसा इसलिए कहा जा रहा है कि तब चुनाव आ जायेगें और हो सकता है यह प्रतीक्षा सूची यथावत बनी रही और तब तक लोकसभा का चुनाव घोषित हो जाय और पद्रेश में चुनाव आचार संहिता लागू हो जाय। और सरकार को यह कहने का मौका मिल जाय कि आचार संहिता के लागू होने के कारण हम ऐसा नहीं कर पा रहे हैं लेकिन चुनाव बाद वादा अवश्य पूरा किया जायेगा। लेकिन इसी समय यह कहने वाले भी लोग कम नही होगे कि जिनका यह मानना है कि जिन्दा कौमें पांच साल का इंतजार नहीं कर सकती। तब अगर कोई विपरीत हवा ऐसे ही लैपटाप से वंचित नौजवानों की चली तो फिर सरकार औंधे मुंह ही गिरेगी। वैसे भी वर्तमान सरकार में कानून व्यवस्था ,पानी,विजली ,किसानों के लिए खाद बीच पानी की समस्या आदि भ्री मुह बाये खडी है जो सभी कोढ में खाज का काम कर रही है। यहां यह भी याद रखना होगा कि पिछली बार ही नये मतदाताओं की संख्या नही बढी थी इस बार भी नये मतआताओं की संख्या बढेगी और एसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार की गति क्या होगी।

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