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शौचालय बनवाओ नहीं गालियां दूंगी

समय की पुकार
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प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के भारत स्वच्छता अभियान की आज कल खूब चर्चा हो रही हे। वैसे तो पूर्व की डा़० मनमोहन सिंह की सरकार ने भी स्वच्छता अभियान को खासी महत्ता दी थी और इस योजना के प्रचार प्रसार भी काफी कुछ किया था लेकिन उनको वह भाव नहीं मिला जो भाव मोदी जी की स्वच्छता अभियान को मिल रहा है। अब यह किन कारणों से है यह तो इस पर शोघ करने वाले ही बता सकते हैं लेकिन मनमोहन सिंह यह अवश्य कह सकते हैं कि मोदी सरकार वहीं काम कर रही है जिसे उनकी सरकार ने छोडा था। अब मोदी सरकार अगर मनमोहन जी की सरकार के कार्यक्रमों को आगे बढा रही है तो उन्हे तो खुश होना चाहिए। हां दोनेां में एक समानता जरूर देखने को मिल रही है कि मोदी की सरकार ने मनमोहन सिंह की स्वच्दता अभियान के एक विज्ञापन को हू–ब–हूं अब भी आकाशवाणी और दूरदर्शन पर बजा रही है जो उस समय भी बज रही थी जब कांग्रेस गठबंधन की सरका थी और अब भी बज रही है जब मोदी की सरकार है। शायद विद्‍याबालन देानेां की पसंद है। इस विज्ञापन में विद्‍याबालन उन लोगों जोर जोर से गालियां दे रही हैं जिन्होने शौचालय का निर्माण अपने घरों में नहीं कराया है। आप भी कहेगें कि अरे भाई विद्‍याबालन जी तो लोगों को जागरूक कर रही हैं। जी हां जागरूक कर रही हेंं और वह गरीबी का मजाक उठा कर गालियां देकर। जरा गौर से सुनिये उनके जागरूकता अभियान की पहली पंकित् को वे कह रही हैं कि ʺ मुझे दोगले लोग विल्कुल पसंद नहीं ʺ । जी हां जिनके घरों मे शौचालय नहीं हे। वे ʺदोगले ʺ हैं। हमारे गांवों में आज भी दोगले शब्द को गालियों के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। और जब आप किसी के प्रति नफरत का इजहार करना चाहते हैं तो कहते है कि अमुक आदमी दोगला है। अब केाई सरकार या विद्‍याबालन जी से पूछे कि जिसके पास दो जून की रोटी नहीं है वह भला शौचालय के विषय में क्या खाक सोचेगा ॽ अरे पेट मे कुछ रहेगा तो ही शौचालय जायेगा। आप फिर कहेगें कि मै नरेन्द्र मोदी जी के ड्रीम प्रोजेक्ट की खिल्ली उडा रहा हूं। नहीं जी नहीं मैं इस विज्ञापन की खामियों की ओर इशारा कर रहा हूं। अाखिर इस विज्ञापन में दोगेले शब्द की जगह किसी और शब्द का प्रयोग नहीं किया जा सकता था क्या ॽ क्या विज्ञापन का उद्देश्य किसी को गालियां देकर ही पूरा किया जा सकता है ॽजरा गौर किजिए फिल्मों को जारी करने का प्रमाण पत्र देने के विषय के क्या मापदंड हैं। यहीं न कि सीन अश्लील न हो या दो अर्थी न हो आदि आदि। अब जरा स्वच्छता अभियान के इस विज्ञापन के अर्थ को उन्ह्री तराजू पर तौलिये तो देखिये किसका पलडा भारी नजर आता है। मै। इस विषय पर तब ही कुछ लिखना चाहता था जब डा० मनमोहन सिंह की सरकार थी लेकिन चाहते हुये भी नहीं लिख पाया। अब देखता हूं कि अभी भी यह विज्ञापन यथावत बजाया और दिखाया जा रहा हे। तो क्या सेाचा जाय या कहा कि मोदी की सरकार मनमाेहन की सरकार दोनो जनता को गालियां देकर ही अपने उद्देश्यों की पूर्ति कर रही है। यह हो सकता है कि इस ʺ दोगले ʺ शब्द के ओर भी अर्थ हो सकते हैं लेकिन एक एसी अभिनेत्री से यह विज्ञापन करवाना जिसकी छवि एक डर्टी गर्ल्स की बनी हुयी है कहां तक उचित है। हालांकि विद्‍याबालन जी इसी अभियान के अन्य विज्ञापनो में अपने ʺ परिणीताʺ के रोल का भी जिक्र करती हैं लेकिन गांवों मेें जिसके पास सिर्फ और सिर्फ एक दूटा फूटा रेडियों है और जिसपर वह अपने मनोरंजन के लिए कुछ फिल्मी गाने सुन लेता है और इसी प्रकार के कुछ विज्ञापन भी। वह तो यही सोचेगा न कि यह हमें इस लिए गालियां दे रही है कि हमारे पास शोचालय नहीं है।

लोगा इस विषय और शब्द पर और अर्थ दे सकते हैं लेकिन जिस मकसद और जिन लोगों के लिए इस विज्ञापन का खास मकसद है उसकी पूर्ति उसकाे गालियां दिलवा कर कभी भी पूरी नहीं की जा सकती। हम भी इस शब्द के विषय में अपनी जिज्ञासा जब गूगल महराज के सामने रखी तो उन्होने जो कुछ बताया उससे मैं आपको अवगत कराना समझता हूं।

illegitimacy:
१ . जारजपन , कम असली , दोगलापन , हरामीपन

Synonyms and Antonymous of the word दोगलापन in Almaany dictionary

Nearby Words

alternative:
१ . विकल्प , दो में से कोई पसंद करना , पक्षान्तर
amphibious:
१ . जल – थल – चर , पृथ्वी और पानी दोनो में रहने वाला , स्थल – जल – चर , द्विधागति
anatomy:
१ . चीरफाड , शरीर व्यवच्छेद – विद्या , दैहिक गठन संबंधी विद्या
bastard:
१ . दोगला , जारज , २ . झूठा , खोटा
bastard:
१ . दोगला , जारज संतान , वर्णसंकर , २ . झूठा , नकली
better:
१ . बेहतर , दो वस्तुओं या व्यक्तियों में श्रेष्ठतर , उत्तमतर
bicameral:
१ . दो व्यवस्थापक अंग युक्त
bicentenary:
१ . दो सौ वर्ष वाला , दो शताब्दी का
bicentenary:
१ . दो सौ वर्षीय उत्सव , द्वितीय शताब्दी का उत्सव
biennial:
१ . द्विवार्षिक , दो साल तक रहने वाला , दो साल में एक बार वाला

अब आप ही बताइये कि इस अभ्‍िायान के लिए इस शब्द का प्रयोग कहां तक उचित है। हमें आपके विचारों की प्रतीक्षा रहेगी। साथ ही हम यह भी कहना चाहते हैं कि सरकार को चाहिए कि एक पवित्र और अच्छे कार्य के लिए जारी किये जाने वाले विज्ञापनो की भाषा और उसके लिए उचित व्यक्त्‍िव और आदमियों का चयन करें न कि डर्टी गर्ल्स विद्‍याबालन जी जैसे लोगों का।

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